मुख्यमंत्री 12 अप्रैल को पंजाब कृषि विश्वविद्यालय में ‘सरकार-किसान मिलनी’ के दौरान किसानों से सीधा संवाद करेंगे

मुख्यमंत्री 12 अप्रैल को पंजाब कृषि विश्वविद्यालय में ‘सरकार-किसान मिलनी’ के दौरान किसानों से सीधा संवाद करेंगे

Sarkar-Kisan Milan at Punjab Agricultural University

Sarkar-Kisan Milan at Punjab Agricultural University

पानी की कम खपत वाली धान की किस्में अपनाने को प्रोत्साहित कर भूमिगत जल संरक्षण पर केंद्रित होगी किसान मिलनी

चंडीगढ़, 11 अप्रैल: Sarkar-Kisan Milan at Punjab Agricultural University: पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान 12 अप्रैल को पंजाब कृषि विश्वविद्यालय, लुधियाना में अपनी तरह की अनूठी ‘सरकार-किसान मिलनी’ के दौरान राज्य के किसानों से सीधा संवाद करेंगे। इस मुलाकात का उद्देश्य किसानों को पानी की कम खपत वाली धान की किस्में अपनाने के लिए प्रोत्साहित करना है, ताकि बेशकीमती भूमिगत जल को बचाया जा सके।

यह किसान मिलनी शनिवार को पंजाब कृषि विश्वविद्यालय में आयोजित की जाएगी, जिसमें 1100 से अधिक किसान भाग लेंगे। इस मौके पर विभिन्न स्टॉल भी लगाए जाएंगे, जिनके माध्यम से किसानों को खेती के विकास हेतु सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयासों की जानकारी दी जाएगी। इस विशेष सरकार-किसान मिलनी का मुख्य उद्देश्य धान की बुवाई के मौसम से पहले किसानों को कम पानी वाली धान की फसल के बारे में जागरूक करना है।

इस मिलनी के दौरान किसानों को धान की खेती के लिए कम पानी खपत वाली तकनीकों के बारे में विस्तृत जानकारी दी जाएगी। इस मौके पर पंजाब कृषि विश्वविद्यालय द्वारा अनुशंसित धान की किस्में अपनाने के लिए भी किसानों को प्रेरित किया जाएगा।
किसानों को यह भी बताया जाएगा कि अक्टूबर में धान कटाई के बाद अधिक नमी के कारण फसल बेचने में आने वाली कठिनाइयों से बचने हेतु इस साल राज्य सरकार ने धान की रोपाई का सीजन 1 जून से शुरू करने का फैसला किया है। धान की फसल के लिए ज़ोन आधारित खेती को सुनिश्चित किया जाएगा और इसके लिए राज्य सरकार ने आवश्यक योजना और व्यवस्था पहले ही कर ली है।

धान की सुचारु रूप से रोपाई सुनिश्चित करने के लिए राज्य को ज़ोन में बांटा गया है और धान की चरणबद्ध खेती के लिए तिथियों की घोषणा जल्द की जाएगी ताकि किसान इसका लाभ उठा सकें। राज्य सरकार इस मुलाकात में कृषि विशेषज्ञों को भी शामिल करेगी ताकि किसानों को इसका अधिकतम लाभ मिल सके। यह मुलाकात भूमिगत जल संरक्षण और किसानों की आय बढ़ाने पर केंद्रित होगी।

Sarkar-Kisan Milan at Punjab Agricultural University

अनुसूचित जाति समुदाय के लिए बड़ा तोहफा; मुख्यमंत्री ने कानून अधिकारियों की नियुक्ति के लिए लिया ऐतिहासिक फैसला

* ए.जी. कार्यालय में अनुसूचित जाति समुदाय को मिलेगा अधिक प्रतिनिधित्व; कैबिनेट ने अध्यादेश जारी करने की दी सहमति

चंडीगढ़, 11 अप्रैल : मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान के नेतृत्व में पंजाब कैबिनेट ने राज्य में अनुसूचित जाति समुदाय को कानून अधिकारियों के रूप में संविदा पर भर्ती में उचित प्रतिनिधित्व प्रदान करने के लिए अध्यादेश जारी करने की मंजूरी दे दी है।

 इस संबंध में फैसला आज मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में उनके आधिकारिक निवास पर हुई मंत्रिमंडल की बैठक में लिया गया।  

इसका खुलासा करते हुए आज यहां मुख्यमंत्री कार्यालय के प्रवक्ता ने बताया कि कैबिनेट ने पंजाब लॉ ऑफिसर्स (एंगेजमेंट) एक्ट, 2017 में संशोधन के लिए अध्यादेश जारी करने को मंजूरी दे दी है। इस कदम का उद्देश्य राज्य में अनुसूचित जाति समुदाय से संबंधित कानून अधिकारियों की संविदा पर नियुक्ति के लिए आय मानदंडों में छूट देने की मंजूरी देना है। आय मानदंडों में छूट देने का उद्देश्य ए.जी. कार्यालय, पंजाब में कानून अधिकारियों के रूप में संविदा पर नियुक्ति के लिए अनुसूचित जाति समुदाय के सदस्यों को उचित प्रतिनिधित्व प्रदान करना है।  

इंप्रूवमेंट ट्रस्टों के आवंटियों के लिए एकमुश्त राहत को मंजूरी 

एक अन्य महत्वपूर्ण फैसले में मंत्रिमंडल ने राज्य के इंप्रूवमेंट ट्रस्टों के आवंटियों के लिए गैर-निर्माण शुल्क और बकाया आवंटन राशि के संबंध में एकमुश्त राहत (ओ.टी.आर.) देने की नीति को भी मंजूरी दे दी है। यह फैसला आवंटियों को बड़ी राहत देगा क्योंकि उनका ब्याज माफ हो जाएगा।  

ब्लॉकों के पुनर्गठन के लिए सहमति

भौगोलिक और प्रशासनिक पहुंच बढ़ाने, कार्य कुशलता में सुधार, खर्च कम करने और विधायी समन्वय बनाए रखने के लिए मंत्रिमंडल ने राज्य में मौजूदा ब्लॉकों के पुनर्गठन और इसे तर्कसंगत बनाने के लिए भी हरी झंडी दे दी है। व्यापक जनहित में बेहतर प्रशासन सुनिश्चित करने के लिए इन ब्लॉकों के पुनर्गठन की आवश्यकता है। उल्लेखनीय है कि वर्तमान में 154 ब्लॉक हैं और कई अस्पष्टताओं के कारण इन ब्लॉकों में प्रशासन को सुचारू रूप से चलाने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।  

मेडिकल कॉलेजों में डॉक्टरों और प्रोफेसरों की सेवानिवृत्ति आयु में वृद्धि 

एक अन्य महत्वपूर्ण फैसले में मंत्रिमंडल ने मेडिकल शिक्षा और अनुसंधान विभाग के तहत मेडिकल कॉलेजों में सेवानिवृत्ति की आयु को मौजूदा 62 वर्ष से बढ़ाकर 65 वर्ष कर दिया है। इस फैसले से मेडिकल कॉलेजों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने में मदद मिलेगी, जिससे इन कॉलेजों में पढ़ रहे छात्रों को बड़ा लाभ होगा।  

आवश्यकता पड़ने पर सेवानिवृत्त विशेषज्ञ डॉक्टरों की सेवाओं को हरी झंडी  

मंत्रिमंडल ने सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों की कमी से निपटने के लिए सेवानिवृत्त डॉक्टरों की सेवाएं लेने की मंजूरी दे दी है। जनहित में आवश्यकता पड़ने पर हर साल इन डॉक्टरों की सेवाएं ली जाएंगी।